होम लोन पार्ट पेमेंट पर EMI घटाएं या अवधि कम करें? जानिए उदाहरण से कौन सा बेहतर है।


होम लोन पार्ट पेमेंट पर EMI घटाएं या अवधि कम करें? जानिए उदाहरण से कौन सा बेहतर है

क्या होम लोन पार्ट पेमेंट के बाद EMI घटाना सही है या लोन की अवधि कम कराना? रमेश और सुरेश के उदाहरण से जानिए कौन ज्यादा ब्याज बचाता है और किसको ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है।

जब हम होम लोन लेते हैं, तो EMI हर महीने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है।
अगर बीच में हमारे पास कुछ अतिरिक्त पैसा आ जाए, तो हम Part Payment (आंशिक भुगतान) करके ब्याज में राहत पा सकते हैं।
लेकिन सवाल है — क्या EMI घटाना सही है या लोन की अवधि कम कराना?

आइए इसे दो दोस्तों रमेश और सुरेश के उदाहरण से समझते हैं।

विवरण जानकारी
लोन राशि ₹1,00,00,000
ब्याज दर 8.5% वार्षिक
अवधि 20 साल (240 महीने)
EMI ₹86,780 प्रति माह

दोनों ने समान शर्तों पर लोन लिया।
दो साल बाद, दोनों ने ₹5 लाख का पार्ट पेमेंट किया।

रमेश का फैसला – लोन अवधि कम कराई

रमेश ने बैंक से कहा कि EMI वही रखो, लेकिन लोन की अवधि घटा दो।

परिणाम:

  • EMI ₹86,780 वही रही
  • लोन अवधि लगभग 16.8 साल रह गई
  • कुल ब्याज भुगतान: लगभग ₹73 लाख

यानी रमेश ने लगभग ₹9 लाख ब्याज बचाया और लोन जल्दी खत्म कर दिया।

सुरेश का फैसला – EMI कम कराई

सुरेश ने कहा कि EMI थोड़ी घटा दो ताकि मासिक बोझ कम हो जाए।
अब उसकी EMI ₹82,240 हो गई, पर अवधि वही 20 साल रही।

परिणाम:

  • EMI घट गई
  • लेकिन ब्याज का बोझ बढ़ गया
  • कुल ब्याज भुगतान: लगभग ₹82 लाख

यानी सुरेश ने ₹9 लाख ज्यादा ब्याज चुकाया।

तुलना तालिका

विवरण रमेश (अवधि कम की) सुरेश (EMI घटाई)
पार्ट पेमेंट ₹5 लाख ₹5 लाख
EMI ₹86,780 (वही) ₹82,240 (कम)
अवधि ~16.8 साल 20 साल
कुल ब्याज ₹73 लाख ₹82 लाख
ब्याज बचत ₹9 लाख  नहीं

फाइनेंस टिप्स: क्या करें जब आप पार्ट पेमेंट करें

  1. अगर इनकम स्थिर है, तो EMI घटाने की बजाय अवधि कम कराना ही बेहतर है।
  2. अवधि घटाने से लोन जल्दी खत्म होता है और ब्याज में लाखों की बचत होती है।
  3. पार्ट पेमेंट करते समय बैंक से स्पष्ट रूप से पूछें कि वे अवधि कर रहे हैं या EMI।
  4. लोन स्टेटमेंट हर साल देखें, ताकि आप जान सकें ब्याज और प्रिंसिपल कितना चुका रहे हैं।

निष्कर्ष:

“EMI घटाने से राहत मिलती है, लेकिन अवधि घटाने से राहत और बचत दोनों मिलती हैं।”

रमेश का निर्णय समझदारी भरा था — उसने EMI वही रखी और अवधि घटाकर ब्याज में लगभग ₹9 लाख बचा लिए।
सुरेश को EMI कम होने का सुकून तो मिला, लेकिन उसे कुल ब्याज में ज्यादा पैसा चुकाना पड़ा।

इसलिए अगली बार जब आप होम लोन पर पार्ट पेमेंट करें, तो सोच-समझकर फैसला लें —
हालांकि यह निर्णय आपके वित्तीय उदेश्य के हिसाब से हो सकते है क्योंकि अगर आप की आय कम है तो आपको तुरन्त वित्त भार कम करने की आवश्यकता होती है उस स्थिति में किस्त कम करना ही बेहतर हो सकता है।

डिस्क्लेमर: यहां पर दी गई जानकारी केवल वित्तीय साक्षरता के लिए दी गई है यहाँ पर किसी भी प्रकार के निवेश की सलाह नहीं दी गई है। कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह अवश्य लें।

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