EMI को बोझ ना बनने दे: कैसे बचें इस जाल से, अपनायें ये ट्रिक्स।


EMI को बोझ ना बनने दे: कैसे बचें इस जाल से, अपनायें ये ट्रिक्स।

how to free from EMI and dont let EMI become a burden : आजकल हमारी ज़िंदगी में EMI (Equated Monthly Installment) इतनी आम हो गई है कि घर की प्रत्येक वस्तु EMI पर ले रहे है हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि यह एक सुविधा कम, और एक बड़ा वित्तीय बोझ ज़्यादा है। होम लोन से लेकर कार लोन, और क्रेडिट कार्ड की किस्तों तक, अगर आपकी महीने की इनकम का एक बड़ा हिस्सा (मान लीजिए 40% से ज़्यादा) EMI चुकाने में जा रहा है, तो आप अनजाने में एक बड़े मुश्किल दौर को न्योता दे रहे हैं।
ज़रा सोचिए, अगर आपकी नौकरी में कोई उतार-चढ़ाव आया, या कोई मेडिकल इमरजेंसी आ गई, तो क्या होगा? आपकी बचत तो पहले ही कम है या नही भी है, और EMI का बोझ आपको दिवालिएपन के कगार पर ला सकता है।लेकिन डरिए मत! समस्या है, तो समाधान भी है। अगर आप पहले से ही EMI के बोझ तले दबे हैं या भविष्य में इससे बचना चाहते हैं, तो ये 5 उपाय आपकी मदद कर सकते हैं।

Emergency Fund

पहले ये समझे कि EMI क्यों हानिकारक साबित हो सकती है और कैसे इस जाल में लोग फंस जाते है

  • कम बचत, ज़्यादा तनाव: जब आपकी आय का बड़ा हिस्सा किस्तों में निकल जाता है, तो आप भविष्य के लिए बचत नहीं कर पाते। इससे वित्तीय असुरक्षा और मानसिक तनाव बढ़ता है।
  • कर्ज का दुष्चक्र: एक लोन को चुकाने के लिए व्यक्ति दूसरा लोन (जैसे पर्सनल लोन) लेता है, और फिर ब्याज के दलदल में फंसता चला जाता हैं।
  • वित्तीय आपातकाल में खतरा: आपात स्थिति के लिए व्यक्ति के पास पर्याप्त ‘इमरजेंसी फंड’ नहीं होता, जिससे उन्हें ऊंचे ब्याज दरों पर दोबारा कर्ज लेना पड़ सकता है। जिससे स्थिति और खराब होती जाती है।

EMI के बोझ से बचने के 5 अचूक उपाय

डाउन पेमेंट को बनाएं ‘ब्रह्मास्त्र’

जब भी कोई बड़ा लोन लें (जैसे होम लोन या कार लोन), कोशिश करें कि डाउन पेमेंट ज़्यादा से ज़्यादा करें। जिससे आप जितना ज़्यादा डाउन पेमेंट करेंगे, आपके लोन की मूल राशि (Principal Amount) उतनी ही कम होगी। परिणामस्वरुप लोन की राशि कम होने से आपकी मासिक EMI भी अपने आप कम हो जाएगी, और लंबी अवधि में आपको ब्याज भी कम चुकाना पड़ेगा।

प्री-पेमेंट/पार्ट प्री-पेमेंट का इस्तेमाल करें

प्री-पेमेंट सबसे कारगर उपाय है! जब भी आपको बोनस मिले, टैक्स रिफंड मिले, या कहीं से भी एकमुश्त पैसा आए  तो उसका इस्तेमाल अपने लोन का कुछ हिस्सा चुकाने में जरूर करें। इससे यह होगा कि यह पैसा सीधा आपके मूलधन को कम करेगा जिससे आपकी कुल ब्याज राशि और लोन की अवधि (Tenure) तेज़ी से कम हो जाएगी। ध्यान रखें कि शुरुआती सालों में प्री-पेमेंट करना सबसे ज़्यादा फायदेमंद होता है।

बैलेंस ट्रांसफर या रीफाइनेंसिंग पर विचार करें

अगर आपका लोन किसी बैंक में बहुत पुराने समय से चल रहा है और उसकी ब्याज दरें बाज़ार की वर्तमान दरों से ज़्यादा हैं, तो आप बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुन सकते हैं अपने मौजूदा लोन को किसी दूसरे बैंक में ट्रांसफर करें, जो कम ब्याज दर की पेशकश कर रहा हो। कम ब्याज दर का फायदा ये होगा कि आपकी मासिक EMI को काफी कम कर सकती है। लेकिन हाँ, ट्रांसफर से पहले प्रोसेसिंग फीस और अन्य शुल्कों की गणना ज़रूर कर लें।

सबसे महंगे लोन को पहले चुकाए।

अगर आपके पास कई छोटे-बड़े लोन हैं (पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड, कार लोन), तो उन्हें चुकाने की एक रणनीति बनाएं। वो यह कि हमेशा सबसे महंगे लोन (जिसकी ब्याज दर सबसे ज़्यादा है, जैसे पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड बिल) को सबसे पहले चुकाएं। जैसे ही सबसे महंगा कर्ज खत्म होगा, आपको मानसिक राहत मिलेगी और आप उस पैसे का इस्तेमाल दूसरे कर्ज को चुकाने में कर पाएंगे।

अपने बजट का ‘वित्तीय विश्लेषण करें

EMI के जाल से निकलने का सबसे ज़रूरी कदम है अपनी मासिक आय और व्यय का ईमानदारी से विश्लेषण करना।  एक सख्त मासिक बजट बनाएं। और उन अनावश्यक खर्चों (जैसे बाहर खाना, ज़्यादा सब्सक्रिप्शन, फालतू शॉपिंग) को पहचानें जिन्हें टाला जा सकता है। आपकी छोटी-छोटी बचतें मिलकर एक बड़ा आपातकालीन फंड (Emergency Fund) तैयार कर सकती हैं, जिससे आपको EMI चुकाने में मदद मिल सकती हैं।

निष्कर्ष: हमें समझदारी से खर्च करना चाहिए EMI एक सुविधा है, लेकिन यह कभी भी आपकी वित्तीय स्थिति पर हावी नहीं होनी चाहिए। हमेशा याद रखें, आपकी कुल EMI आपकी मासिक आय के 30% से 40% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए।

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