देसी कंपनी का गांव से अमेरिका तक का सफर : Zoho कॉर्पोरेशन और CEO श्रीधर वेम्बू की कहानी।
Zoho Corporation : जोहो कॉर्पोरेशन एक भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी जिसने न केवल तकनीकी दुनिया में अपनी धाक जमाई बल्कि यह भी साबित किया कि छोटे से गांव में रहकर भी कम सुविधाओं के साथ एक बड़ी कंपनी खड़ी की जा सकती है।
श्रीधर ने साबित कर दिखाया कि सफलता के लिए अनुशासन, जुनून, जोश, संयम, धैर्य और सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत होती है ज़रूरी नहीं है कि हम बड़े शहरों में रहकर ही कुछ रचनात्मक कर सकें।
जोहो के संस्थापक और सीईओ श्रीधर वेम्बू की कहानी अपनी आत्मनिर्भरता, सादगी और ग्रामीण परिवेश में पल बढ़कर उनके प्रति समर्पण की मिसाल है।

तमिलनाडु के तंजावुर जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे श्रीधर की पढ़ाई आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में पूरी हुई। उसके बाद उन्होंने अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर किया या फिर पीएचडी की डिग्री हासिल की।
अमेरिका में कुछ समय काम करने के बाद श्रीधर वेंबू को महसुस हुआ कि मुझे वापस भारत लौटना चाहिए। और वहा की चकाचौंध वाली कॉर्पोरेट दुनिया को छोड़ कर वापस भारत आ गए। उनका उद्देश्य निश्चित था कि मुझे ऐसी सॉफ्टवेयर कंपनी बनानी है जो उत्पाद और सेवा दोनों प्रदान करे।
भारत आ कर श्रीधर वेम्बू ने अपने सह संस्थापक टोनी थॉमस के साथ मिल कर छोटी सी कंपनी की शुरुआत की जो नेटवर्क प्रबंधन सॉफ्टवेयर का कार्य करती थी। जोहो कॉरपोरेशन की नीव सन् 1996 में एक छोटी सी शुरुआत के साथ चेन्नई से हुई उस समय कंपनी का नाम AdventNet हुआ करता था कंपनी के शिल्पकार के रूप में श्रीधर बम्बू शिक्षा और उनका कैरियर अनुभव बहुत काम आया।
जोहो कॉर्पोरेशन का उदय:
लंबे समय तक काम की सफलता के बाद श्रीधर वेंबू को लगा कि आने वाला समय क्लाउड बेस बिजनेस टूल का होगा। अपना पहला क्लाउड आधारिट उत्पाद 2005 Zoho CRM लॉन्च किया। कंपनी ने सर्विस देने के बजाये सीधे उपभोगताओ और व्यवसायियो के लिए सॉफ्टवेयर बनाना शुरू किया।
2009 में कंपनी के बढ़ते उत्पाद की रेंज को देखते हुए कंपनी का नाम बदल कर Zoho Corporation कर दिया गया। ज़ोहो कॉरपोरेशन ने कभी भी बाहरी निवेश को स्वीकार नहीं किया। और अपनी कमाई और मुनाफ़े से ही आज तक वृद्धि हासिल की है। ऐसी कंपनी को बूटस्ट्रैप्ड कंपनी कहा जाता है।
जोहो का अनोखा बिज़नेस मॉडल:
जोहो कॉरपोरेशन के बिजनेस मॉडल से यह केवल एक सॉफ्टवेयर कंपनी ही नहीं बल्कि एक सामाजिक उत्थान और आत्मनिर्भरता को भी दर्शाती है।
- श्रीधर वेंबू ने ग्रामीण आंचल में रोजगार सृजन किया जिससे शहरों के साथ-साथ गावों में भी प्रतिभा बढ़ी।
- उन्हें चन्नई जैसे बड़े शहरों से दूर तमिलनाडु के छोटे गांव और कस्बे में सैटलाइट ऑफिस की स्थापना की, उनकी इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को वहां पर अपने गांव में ही उच्च रोजगार मिलने लगा।
- जोहो ने अपने लिए युवाओं को शिक्षित या प्रशिक्षित करने के लिए जोहो स्कूल प्रारम्भ किया जो 12वीं पास छात्रों को प्रशिक्षण देकर उन्हें काम के लिए तैयार करता है। और अच्छे वेतन के योग्य बनाता है। जिससे शिक्षा या रोज़गार के बीच अंतर कम हो।
- जोहो आज लगभग 55 से अधिक बिज़नेस एप्लीकेशन मुहैया कराता है जो एक विशाल श्रृंखला है। ये सीधे तौर पर माइक्रोसॉफ्ट और गूगल को टक्कर दे रहे हैं। यहां तक की व्हाट्सैप को भी टक्कर दे रहे हैं। इनके उत्पाद 180 से अधिक देशों में इस्तेमाल हो रहे हैं।
- कंपनी के प्रमुख उत्पाद : Zoho CRM, Zoho Campaigns, Zoho Workplace, Zoho mail, Arattai, Zoho Books, Zoho Inventory, Zoho People आदि।
- कंपनी छोटे उद्यमी से लेकर बड़े व्यवसायी को सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराती है।
श्रीधर वेम्बू का जीवन सादगीपूर्ण है वे गांव में रहते है अक्सर अपने ऑफिस साइकिल से जाते है। उनका ये जीवन दर्शन दिखाता है कि सफलता को दिखाने के लिए मोटे ताम जाम की जरुरत नहीं है।
उन्हें 2021 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म श्री से सम्मानित किया गया है जो उनकी व्यावसायिक सफलता ही नहीं ग्रामीण भारत के सामाजिक उत्थान में योगदान को भी दर्शाता है।
निष्कर्ष: जोहो कॉरपोरेशन और श्रीधर वेम्बू की कहानी ये बताती है कि भारत के किसी छोटे से गांव से भी वर्ल्ड लेवल की तकनीकी कंपनी खड़ी की जा सकती है। तकनीक, उद्यमिता या सामाजिक उत्थान में रुचि रखने वाले लोगो के लिए जोहो कॉर्पोरेशन की कहानी एक प्रेरणा साबित होगी।
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